ADDA INSIDER बहुगुणा फिर सक्रिय: दून में प्रधानमंत्री मोदी से गुफ़्तगू, दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात, 22 बैटल में बीजेपी की ‘विजय’ को लेकर बहुगुणा ने दी ये रिपोर्ट?

देहरादून: जैसे-जैसे 2022 के विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा एक्टिव होते दिख रहे हैं। विजय बहुगुणा ने संसद भवन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। पूर्व मुख्यमंत्री बहुगुणा की चार दिसंबर को देहरादून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी गुफ़्तगू हुई थी। पीएम मोदी से शनिवार की गुफ़्तगू के बाद सोमवार को दिल्ली में बहुगुणा की अमित शाह से मुलाकात ने बीजेपी से लेकर सूबे के पॉवर कॉरिडोर्स में नई सियासी हलचल पैदा कर दी है। हालांकि बहुगुणा कैंप का दावा है ति इस मुलाकात में 2022 के चुनाव की दृष्टि से राज्य के सियासी हालात पर पूर्व सीएम ने अपनी रिपोर्ट दी है लेकिन राजनीतिक गलियारे में इसके दूसरे कई निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं।

दरअसल, विजय बहुगुणा की अगुआई में ही 18 मार्च 2016 को हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद करते हुए कांग्रेस में टूट को अंजाम दिया गया था। कांग्रेस के नौ विधायकों ने विजय बहुगुणा की अगुआई में कांग्रेस से पालाबदल कर भाजपा का दामन थामा था लेकिन पांच साल सत्ता में रहने के बाद अब जब कमल कुनबा चुनावी जंग में उतर रहा तब सियासी गलियारे में तरह-तरह की अटकलें और कांग्रेसी गोत्र के कुछ नेताओं की घरवापसी की चर्चाएं चलती रहती हैं।

खासकर पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके पुत्र पूर्व विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में लौट जाने के बाद ऐसी अटकलबाजी को राजनीतिक हलकों में खासा गंभीरता से लिया जा रहा है। हालाँकि धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने भाजपा में ही बने रहने और कांग्रेस में घरवापसी की अटकलों को विरोधियों की साज़िश करार दे चर्चाओं की चिंगारी पर पानी डालने की कोशिश जरूर की है लेकिन जब चुनाव करीब हों तब पहाड़ पॉलिटिक्स में कब क्या नया ‘खेल’ हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है।

जाहिर है बहुगुणा की अमित शाह से लंबी मंत्रणा, जहां, भाजपा के भीतर की राजनीति के लिहाज से खासी अहम मानी जा रही, वहीं विरोधी दल कांग्रेस के लिए भी नए खतरे की आहट हो सकती है! आखिर आर्य पिता-पुत्र के जाने से सत्ताधारी भाजपा को जो ‘जोर का झटका धीरे से लगा’ है, उसके पलटवार की पटकथा भी शाह-बहुगुणा मुलाकात में लिख दी जाए तो इससे नकारा नहीं जा सकता है।

वैसे भी भाजपा से लेकर कांग्रेस कॉरिडोर्स में यह चर्चा अभी भी थमी नहीं है कि कुछ कांग्रेसी जिताऊ दावेदार सत्ता के दिल्ली दरबार के रडार पर हैं और उनको अपने पाले में लाने के दांव-पेंच परदे के पीछे से जोर-शोर से चल रहे हैं। उधर कांग्रेस भी आर्य पिता-पुत्र की तर्ज पर भाजपा को एक और झटका देने से गुरेज़ नहीं करेगी। लिहाजा संभव है कि विजय बहुगुणा ने सूबे के ऐसे तमाम राजनीतिक पहलुओं को लेकर अपनी रिपोर्ट अमित शाह को सौंपी हो। इस मुलाकात में धामी सरकार के कामकाज से किस तरह का असर जमीन पर उतरता दिख रहा है, उस पर भी चर्चा हो सकती है।

दरअसल, एक समय विजय बहुगुणा को लेकर सूबे के पॉलिटिकल कॉरिडोर्स में यह चर्चा होने लगी थी कि शायद अब वे एक्टिव पॉलिटिक्स छोड़कर आराम की मुद्रा में जा रहे हैं या भाजपा भी अब उनको और ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहेगी! लेकिन जिस तरह से पिछले दो-ढाई महीनों में बहुगुणा न केवल पॉवर कॉरिडोर्स में एक्टिव हुए हैं बल्कि हरक सिंह रावत के लगातार तल्ख होते तेवर नरम करने को विजय बहुगुणा ही देहरादून आते हैं और 2016 के तमाम बाग़ियों को लेकर मैराथन बैठक कर मीडिया से मुख़ातिब होकर ‘ऑल इज वेल’ का मैसेज देते हैं। उसके बाद अब फिर पहले प्रधानमंत्री मोदी और अब गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के जरिए 22 बैटल में खुद को चूका मानने की ग़लतफ़हमी पाल रहे पार्टी के भीतर और बाहर के ‘मित्रों’ को बहुगुणा अपना नया संदेश देते दिख रहे हैं।

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