सीएम उद्धव ठाकरे के भावनात्मक अपील का बागी विधायकों पर कोई असर नहीं दिखा, शिवसेना के कुछ औऱ विधायक आज असम पहुंचे

मुंबई, महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार का जाना तय माना जा रहा है। मुमकिन है कि आज तस्वीर साफ हो जाएगी, क्योंकि बीते कल की घटनाओं ने महाराष्ट्र के भविष्य का खाका खींच दिया है।

एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र विधानसभा में एक अलग गुट के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए जरूरी संख्या के नजदीक पहुंचते दिख रहे हैं। बुधवार शाम को उन्होंने अपने साथ 48 विधायक (गुवाहाटी पहुंचने पर 40 विधायक साथ होने की बात कही थी) होने का दावा किया जिनमें निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।

उद्धव की भावनात्मक अपील का कोई असर नहीं

हालांकि एक तरफ जहां उन्होंने 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र विधानसभा भेजा तो जवाब में उद्धव खेमे ने भी अपना नेता चुनते हुए 22 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र भेजा है।

एक तरह से साफ हो गया है कि असम में अपने समर्थकों के साथ डेरा जमाए शिंदे पर उद्धव की भावनात्मक अपील का कोई असर नहीं हुआ है और वह उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने पर दृढ़ हैं।

बेमेल गठबंधन को छोड़ना जरूरी: शिंदे

मुख्यमंत्री की अपील के जवाब में उन्होंने ट्वीट कर कहा कि एमवीए सरकार में शिवसेना और उसके कार्यकर्ताओं का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है जबकि राकांपा व कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।

राज्य के हित में इस बेमेल गठबंधन को छोड़ना जरूरी है। पिछले ढाई साल में शिवसेना को व्यवस्थित तरीके से खत्म किया गया है। बताया जा रहा है कि बागी गुट के विधायक आज राज्यपाल को चिट्ठी लिख सकते हैं।

एकनाथ ने किया 48 विधायकों के समर्थन का दावा

इस बीच, पिछले 12 घंटे में शिवसेना के पांच और दो निर्दलीय विधायक गुवाहाटी पहुंचे। इनमें गुलाबराव पाटील, योगेश कदम, सदा सरवंकर, योगेश पवार और मंगेश कुंडालकर शामिल हैं। बाकी दो विधायक मंजुला गावित और चंद्रकांत पाटिल निर्दलीय हैं।

सदा , योगेश और मंगेश गुरुवार सुबह गुवाहाटी की रेडिसन ब्लू होटल पहुंचे। इसके साथ एकनाथ शिंदे की ताकत बढ़ती जा रही है। शिवसेना के बागी विधायकों की कुल संख्या 41 तक पहुंच गई।

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