राजधानी के पर्यटन मानचित्र पर ‘यमुना वाटिका’ के रूप में एक नया नाम जुड़ने जा रहा है। 450 एकड़ क्षेत्र में फैली इस वाटिका को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा तैयार किया जा रहा है।
यह वाटिका अनेक किस्म के फूलों के बगीचों और पेड़ों से घिरी है और जल्द ही दिल्ली में अपनी तरह का सबसे बड़ा स्थान होगा। यमुना वाटिका का विकास उपराज्यपाल वीके सक्सेना के नेतृत्व में किया जा रहा है।
यमुना वाटिका में बगीचे को फूलों के तीन स्तरीय डिजाइन में तैयार किया गया है, जो दिल्ली के शहरी भूदृश्य में एक नया मानक स्थापित करेगा।
उपराज्यपाल की इस पहल का उद्देश्य शहर के परिस्थितिकी तंत्र को सुंदर बनाने की अपील करना और इसे दिल्ली का पहला समर्पित ‘फूलों का क्षेत्र’ बनाना है। यमुना वाटिका, दिल्ली प्राधिकरण की ओर से यमुना बाढ़ क्षेत्र के 450 एकड़ में फैले क्षेत्र के पुनरुद्धार की योजना का हिस्सा है।
इसे मल्टी-एक्टीविटी वाले हरित स्थान के रूप में तैयार किया जा रहा है। गुलमोहर, अमलतास, चिनार और विदेशी प्रजातियों जैसे चेरी ब्लासम के पौधे समेत करीब आठ हजार स्वदेशी पेड़ों को यहां पर लगाया गया है। इसके अलावा करीब 10 हजार बांस के पौधे भी यहां पहले ही लगाए जा चुके हैं, जो बाढ़ क्षेत्र के पारिस्थितिकी में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं
यह पेड़ न केवल शहर के हरित आवरण को बढ़ाएंगे, बल्कि इनसे यमुना वाटिका में आने वालों को भी एक शानदार प्राकृतिक माहौल भी मिलेगा। इसमें चार बड़े तालाब हैं, जिन्हें बाढ़ के दौरान जल संरक्षण के लिए बनाया गया है। इसके अलावा यह पानी को संजोने का भी काम करेगा।
यह उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दिल्ली को हरा-भरा बनाने की एक और उल्लेखनीय पहल है। इससे पहले बांसेरा, असिता पूर्व, वैष्णवी, वासुदेव घाट और जीर्णोद्धार किए गए रोशनारा बाग और नर्सरी जैसे हरित स्थल, उनके ही सकारात्मक प्रयासों का नतीजा हैं, जहां हर रोज काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। आगे चलकर यमुना वाटिका एक बड़ा पर्यटन स्थल का रूप लेगा।