अब इस मुद्दे पर हरदा का धामी सरकार पर हल्लाबोल, कहा- उत्तराखंड में मनभेद पैदा कर रही वर्तमान भाजपा सरकार, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला

देहरादून: उत्तराखंड के 22वें स्थापना दिवस के मौके पर धामी सरकार ने राज्य की पांच विभूतियों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘उत्तराखंड गौरव सम्मान’ देने का ऐलान किया है। लेकिन अब पूर्व मुख्यंतंरी हरीश रावत ने इस मुद्दे को लेकर सूबे की धामी सरकार पर बेहद संगीन आरोप लगा दिए हैं। हरदा ने आरोप जड़ा है कि राज्य की मौजूदा सरकार मनभेद पैदा कर रही है। हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि धामी सरकार पुरस्कारों का भी राजनीतिकरण कर रही है और ऐसा लग रहा है जैसे राज्य में एक मन भाजपा का हो और एक मन कांग्रेस का!

कांग्रेस कैंपेन कमांडर ने कहा कि पुरस्कारों का नामकरण और दलीयकरण करना अच्छे संकेत नहीं हैं और यह उत्तराखंड की परिपाटी भी नहीं रही है। रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने ‘भारत रत्न’ की तर्ज पर ‘उत्तराखंड रत्न’ पुरस्कार शुरू किया था लेकिन धामी सरकार ने नाम बदलकर ‘उत्तराखंड गौरव सम्मान’ कर दिया है। हरदा ने कहा कि राज्य स्थापना दिवस यानी नौ नवंबर के अवसर पर ऐसा कदम उठाना मनभेद पैदा कर रहा है।

यहाँ पढ़िए पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्या कहा हूबहू:-

#उत्तराखंडरत्न #uttarakhandfoundationday

मैंने सुबह समाचार पढ़ा कि हमारे कई गणमान्य, आदरणीय लोगों को उत्तराखंड गौरव की उपाधि से नवाजा गया है। मैं, उन सब लोगों को बहुत बधाई देता हूंँ। मगर मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है कि “उत्तराखंड रत्न” बड़ा पुरस्कार है या “#उत्तराखंडगौरव”! यह सवाल इसलिए उठा, हमारे समय में कुछ विभूतियों को उत्तराखंड रत्न से विभूषित किया गया था, वो अब उत्तराखंड गौरव पुरस्कार से भी विभूषित किये गये हैं। हमने “#भारतरत्न” की तर्ज पर “उत्तराखंड रत्न पुरस्कार” प्रारंभ किया। मैं नहीं समझ पाया कि नाम बदलने की आवश्यकता क्यों पड़ गई? क्या राज्य सरकार अब उन महानुभावों से कहेगी कि “उत्तराखंड रत्न” से जो आपको विभूषित किया गया है, वो गलत है और उसको निरस्त करेगी? आखिर योजनाओं व सरकार के निर्णयों का बदलाव नई सरकार करे या वर्तमान सरकार करे, यह संभव है। मगर इसको इस स्तर पर नहीं ले जाना चाहिए, जिस स्तर पर उत्तराखंड की वर्तमान सरकार लेकर के जा रही है। उत्तराखंड रत्न पुरस्कार जिन और महापुरुषों को देना चाहते थे उनको देते और उनमें पुराने लोगों को बुलाकर के उनको भी शॉल ओढ़ाकर के या उनके नाम की पट्टिका लगाकर के उनका सम्मान करते, हमें उसमें कोई एतराज नहीं है। मगर ये पुरस्कारों के नामकरण और उसमें दलीयकरण करना, अच्छा नहीं लग रहा है और इसके लिए 9 नवंबर, #राज्यस्थापनादिवस को चुनना, मनभेद पैदा कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि राज्य के अंदर एक मन भाजपा का है और एक मन, उत्तराखंड कांग्रेस का है। यदि यह परंपरा आगे बड़ी तो राज्य नए-नए ननामकरणों में ही उलझा रह जाएगा, तो एक उलझाव पैदा किया है वर्तमान सरकार ने, जो मुझे राज्य के हित में नहीं लगता है। #जयउत्तराखंड

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

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