ओमीक्रॉन को कतई हल्के में न लें ला सकता है THIRD WAVE! सबसे तेज म्यूटेशन वाले कोरोना वैरिएंट ओमीक्रॉन की देश में दस्तक, कर्नाटक में दो केस मिले, विदेश से राज्यों में लौटे कई लोग मिले पॉजीटिव, यहां 12 करोड़ लोग सिंगल डोज लेकर डबल डोज लेने गए ही नहीं, जानिए भारत के लिए क्यों है ये बेहद खतरे वाली बात

  • THIRD WAVE खतरा
  • अफ्रीका से जयपुर लौटे एक ही परिवार के चार लोग कोरोना पॉजीटिव
  • विदेश से आंध्रप्रदेश लौटे 30 लोग लापता, हड़कंप, RT-PCR टेस्ट के लिए कैसे खोजेगी सरकार

देहरादून: जिसका खतरा था वह हो चुका है। भारत में कोरोना के अब तक के सबसे तेज म्यूटेशन वाले वैरिएंट ओमीक्रॉन की दस्तक हो चुकी है। भारत सरकार के स्वास्थ्य महकमे ने कंफर्म कर दिया है कि 2 दिसंबर को कर्नाटक में नए वैरिएंट ओमीक्रॉन के 2 केस पाए गए हैं। एक्सपर्ट्स लगातार यह चेतावनी दे रहे हैं कि दुनियाभर में कहर बरपाने वाले डेल्टा वैरिएंट से भी कहीं ज्यादा म्यूटेशन वाला ख़तरनाक वैरिएंट है ओमीक्रॉन। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन यानी W.H.O. पहले ही ओमीक्रॉन को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ (Variant of Concern) घोषित कर चुका है।

ओमीक्रॉन को हल्के में न लें

दरअसल, 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रॉन के संक्रमण का पहला मामला सामने आया था।खतरे का अंदाज़ा इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि महज एक हफ्ते के भीतर ही अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस समेत दुनियाभर के 29 देशों में ओमीक्रॉन संक्रमण के मामले मिल चुके हैं। 2 दिसंबर को भारत भी 2 ओमीक्रॉन के मामले मिलने के बाद इन 29 देशों में शामिल हो चुका है जहां सबसे खतरनाक कोविड वैरिएंट की दस्तक हो चुकी है।

तेजी से म्यूटेशन की क्षमता ने बढ़ाई टेंशन

कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन तेजी से म्यूटेट होने की अपनी क्षमता के चलते कहर बरपा चुके डेल्टा प्लस वैरिएंट से भी ज्यादा ख़तरनाक है। ओमीक्रॉन के अब तक 50 म्यूटेशन हो चुके हैं और यही दुनियाभर के देशों में खौफ पैदा कर रहा है।

दूसरी लहर का कहर झेल चुके भारत के लिए खतरे की घंटी

कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में तबाही मचाई थी और डेल्टा प्लस वैरिएंट से भी ख़तरनाक ओमीक्रॉन की देश में दस्तक हो चुकी है, जो अपने आप में खतरे की घंटी है। दरअसल, ओमीक्रॉन के मामले डबल डोज वैक्सीनेटेड लोगों में भी पाए गए हैं जो साबित करता है कि भारत को तत्काल सँभलना होगा क्योंकि देश में अभी पूरी आबादी को डबल डोज का प्रोटेक्शन भी नहीं मिल पाया है और नया वैरिएंट पूरी तरह वैक्सीनेटेड लोगों को भी शिकार बना रहा है। भारत में करीब सवा अरब कोरोना टीके लगाए जा चुके हैं। अब तक 79 करोड़ से ज्यादा लोगों को सिंगल डोज लग पाई है और करीब 46 करोड़ लोगों को ही कोरोना की डबल डोज लग पाई है।

यानी देश की मात्र 32 फीसदी आबादी ही डबल डोज वैक्सीनेटेड है जिसका अर्थ साफ है कि अगर ओमीक्रॉन को शुरू में ही क़ाबू नहीं किया गया तो एक बड़ी आबादी खतरे की जद में आ सकती हैं। देश में ऐसे 12 करोड़ लापरवाह लोग भी हैं जो सिंगल डोज लेने के बाद डबल डोज के लिए रजिस्ट्रेशन कराकर भी तय तारीख पर टीका लगवाने नहीं पहुँचे। यानी से 12 करोड़ लोग भी खतरे को न्यौता दे रहे। यह खतरा तब और ज्यादा ख़तरनाक दिखने लगता है, जब यह तथ्य भी सामने आए कि तेजी से म्यूटेशन करते ओमीक्रॉन पर एंटी कोविड वैक्सीन भी बेअसर हो सकती है। अब अगर ऐसा हुआ तो भारत के लिए हालात कितने चिन्ताजनक हो सकते हैं अंदाज़ा सहज लगाया जा सकता है। ।

जीनोम सिक्वेंसिंग से ओमीक्रॉन का पता चलता भारत में इसकी बेहद धीमी रफ्तार खतरे से बेख़बर रहने की आशंका पैदा करती

कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन की पहचान के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी होती है और भारत में इसकी रफ्तार बेहद धीमी है जिसके चलते ओमीक्रॉन को पहचानने में दिक्कतें आ सकती हैं। मतलब ये कि अगर ओमीक्रॉन को जल्द ट्रेस ही नहीं किया जा सका तो उसे रोका कैसे जाएगा!। यानी देश में कोरोना की एक और लहर का खतरा पैदा हो सकता है। भारत में डेल्टा के कारण दूसरी लहर आई थी और ओमीक्रॉन को उससे कई गुना अधिक संक्रामक बताया जा रहा है।जाहिर है बिना जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ाए ओमीक्रॉन पर क़ाबू पाना बेहद मुश्किल होगा।

क्या वैक्सीन हो सकती है ओमीक्रॉन पर बेअसर ?

जैसा कि ओमीक्रॉन को अब तक का सबसे तेज म्यूटेशन वाला वायरस कहा जा रहा है और इसके स्पाइक प्रोटीन में ही 30 म्यूटेशन हो चुके हैं। ज्ञात हो स्पाइक प्रोटीन के माध्यम से ही वायरस मानव कोशिकाओं में घुसने के रास्ते को खोलता है। वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडी तैयार करके शरीर को इसके खिलाफ लड़ने के लिए तैयार करती है और
ओमीक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन के कारण चिंता जताई जा रही है कि मौजूदा वैक्सीन इसके खिलाफ कितनी कारगार होंगी!

इसके अलावा मौजूदा तमाम वैक्सीन चीन के वुहान में सामने आने वाले ओरिजिनल कोरोना वायरस स्ट्रेन के लिहाज से तैयार की हैं। जबकि ओमीक्रॉन का स्ट्रेन इससे एकदम अलग है। यही वजह है कि मौजूदा वैक्सीन के इस नए वैरिएंट पर बहुत कम या एकदम असर नहीं होने की आशंका जताई जा रही है।

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TNA

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