देहरादून: शासन में बैठे एक-दो टॉप ब्यूरोक्रेट्स और कर्मचारी संगठनों में तलवार तन गई है। सचिवालय संघ के अध्यक्ष और उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष दीपक जोशी को गृह विभाग के टॉप नौकरशाही द्वारा निशाने पर लेने की आशंका के बाद कार्मिक संगठन लामबंद होने लगे हैं। उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुला ली है। महासंघ ने आरोप लगाया है कि विगत दिनों कर्मचारी महासंघ व सचिवालय संघ के आंदोलनों के उपरांत हुए समझोतों में वरिष्ठ नौकरशाह द्वारा मांगों को दरकिनार कर कथित उत्पीड़न की कार्यवाही हेतु षड्यंत्र रचा जा रहा है। महासंघ और कर्मचारी इसका पुरजोर विरोध करते हुए आगे की रणनीति के लिए एक आपात बैठक शनिवार को शाम 4 बजे गौरव होटल में बुलाई है। महासंघ ने आह्वान किया है कि सभी पदाधिकारियों और कर्मचारी साथियों से निवेदन है की एक अंतिम चेतावनी के लिए इस बैठक में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। महासंघ के महामंत्री जगमोहन नेगी द्वारा जारी बयान में कल की आपात बैठक की जानकारी साझा की गई है।
देहरादून: यूं तो उत्तराखंड की छवि हड़ताली प्रदेश की बन चुकी है लेकिन चुनावी सीजन में युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरी शिद्दत से पसीना बहा रहे कि अब किसी तरह का कोई कर्मचारी आंदोलन न खड़ा हो जाए जो विकास के चक्र पर ब्रेक लगाने वाला साबित हो और हालात न संभाल पाने का गलत संदेश भी जाए। लेकिन कुछ टॉप ब्यूरोक्रेट्स जाने-अनजाने ऐसे हालात पैदा कर रहे ताकि खार खाकर कार्मिक संगठन लामबंद हों और धामी सरकार के लिए चुनावी सीजन में नई मुसीबत का सबब बनें। पॉवर कॉरिडोर्स में चर्चा है कि सचिवालय संघ से जुड़ी माँगों को लेकर एक-दो टॉप ब्यूरोक्रेट्स ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने ऐसा भ्रमजाल बनाया कि एक तरफ सचिवालय संघ ने मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत समारोह रख दिया और दूसरी तरफ लंबित प्रमुख चार-पांच माँगों पर एक्शन न होने से अनिश्चितकालीन हड़ताल की पटकथा तैयार हो गई।
सचिवालय संघ के पदाधिकारियों ने तो स्पष्ट आरोप लगाया है कि एसीएस आनंद बर्धन ने माँगों के अनुरूप जानबूझकर दूसरे तथ्य मुख्यमंत्री धामी के समक्ष रख दिए जिससे सरकार और सचिवालय संघ में परस्पर अविश्वास और संदेह के हालात बने। खैर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हालात संभालते हुए सचिवालय संघ पदाधिकारियों को समझाबूझा लिया और गुरुवार को हड़ताल स्थगित भी हो गई। लेकिन अब सचिवालय संघ ने आशंका जताई है कि गृह विभाग के मुखिया एसीएस आनंद बर्धन ने पुलिस मुख्यालय के कुछ टॉप कॉप्स को बुलाकर सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी को ‘ठीक’ करने के निर्देश दे दिए हैं। इसकी भनक लगते ही अब कार्मिक संगठन फिर से लामबंद होने की तैयारी में जुट गए हैं यानी चुनाव सामने है और कुछ सक्षम अधिकारियों की ‘जो अपनी माँगों पर मुँह खोलेगा उसे देख लेने’ वाली शैली नए संकट का सबब बन सकती है। श
लामबंद होते कार्मिक संगठन
उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह गुसाईं ने चिन्ता जाहिर करते कहा है,
‘विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि शासन में बैठे कुछ ब्यूरोक्रेट्स दीपक जोशी को पुनः विभिन्न छल प्रपंचों में फँसाना चाहते हैं। इस सब में उनकी मदद हमारे ही जयचंद कर रहे हैं। श्री दीपक जोशी वर्तमान में जिस आंदोलन की सफलता हेतु हर मुमकिन प्रयास कर रहे हैं, वह शायद कई लोगों को नागवार गुजर रहा है। कार्मिक हितों में जो आक्रामकता दीपक जोशी जी द्वारा अपनाई गई है, उससे कई पुराने झंडाबरदार कुंठित हुए हैं और शायद इस लिए दीपक जोशी को येन केन प्रकारेण नीचा दिखाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।
हम बहुत स्पष्ट शब्दों में सरकार/ शासन को चेताना चाहते हैं कि श्री दीपक जोशी पर किसी भी अनुचित कार्यवाही का सीधा मतलब कार्मिकों के स्वाभिमान को ललकारना होगा जिसका जवाब प्रदेश का एक-एक कार्मिक सड़कों पर उतर कर देगा। दीपक जोशी जैसे कर्मठ एवं निष्ठावान कार्मिक/ शिक्षक हितैषी व्यक्ति पर की गई कोई भी कार्रवाई किसी भी दशा में बर्दाश्त नही की जाएगी। अभी भी कार्मिक/शिक्षक पिछले दौर की तरह दीपक जोशी के नेतृत्व में लामबंद है, ये सनद रहे।’
जाहिर है कर्मचारी नेता दीपक जोशी को ‘सबक सिखाने’ की टॉप ब्यूरोक्रेट्स की मंशा मुख्यमंत्री के लिए नई चुनौती खड़ा कर सकती है क्योंकि जोशी कई संगठनों को सामूहिक मंच उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं जिसकी पकड़ प्रदेश भर के कार्मिक-शिक्षक वर्ग पर है। ऐसे में बैठे-बिठाए कार्मिकों को आंदोलन की नई पृष्ठभूमि तैयार करके देने की ‘सरकार’ के बगलगीर ब्यूरोक्रेट की कोशिश कहीं भारी न पड़ जाए।
शायद युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बखूबी समझते हैं कि उत्तराखंड कर्मचारी स्टेट है और कार्मिकों-शिक्षकों का बड़ा वोटबैंक है जो किसी भी सरकार को नुकसान पहुँचा सकता है, शायद शासन में बैठे बड़े रहनुमाओं की सेहत पर क्या फर्क पड़ता है! आखिर फॉर्थ फ्लोर पर सरकार का मुखिया कोई भी बनकर बैठे शासन के इन रहनुमाओं की जगह तो पक्की है ही!