हरदा ने शाह की चुनौती की स्वीकार: कहा- चौराहे पर खुली बहस करने मैं अकेले ही आऊंगा, शाह रहें सीएम-सरकार संग तैयार पड़ूँगा भारी, जानिए किस दिन होगी बहस

देहरादून: देवभूमि दंगल में चुनावी शंखनाद करने उतरे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पूर्व सीएम हरीश रावत पर तीखा हमला बोलकर राज्य का सियासी पारा गरमा दिया है। अब हरदा ने ज़ोरदार पलटवार कर शाह और सत्ताधारी दल पर जवाबी हमला किया है। दरअसल, गृहमंत्री शाह ने रावत को जुम्मे की नमाज के लिए छुट्टी देने की कोशिश से लेकर स्टिंग का पुराना डंक चुभाकर और डेनिश के बहाने सियासी हमले का डोज देकर खुली बहस के लिए ललकारा।

या कहिए कि शाह ने हरदा को भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के किसी जोशीले नौजवान नेता से मोदी राज और कांग्रेस की यूपीए सरकार से लेकर अपनी तीन साल की सरकार के कामोें पर ओपन डिबेट की चुनौती देकर ललकारा था। लेकिन अब रावत ने न केवल अमित शाह की चुनौती को स्वीकार कर लिया है बल्कि यह ताना भी मार दिया है कि शाह साहब आप सीएम धामी और तमाम सरकारी इंतजाम के साथ तैयार रहिए वे अकेले आएंगे और भारी पड़ेंगे।


हरीश रावत ने केन्द्रीय गृहमंत्री शाह द्वारा लांच की गई घसियारी योजना पर भी गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि घसियारी शब्द घर-खेत से लेकर अनेक ऊँचाइयों को छू रही हमारी बेटी-बहनों का अपमान है। रावत ने डेनिश शराब के बहाने शाह के हमले का जवाब देते कहा कि डेनिश शराब भाजपा राज में भी बिक रही है और मैंने इसे एक नीति के तहत प्रोत्साहित किया था लेकिन जब विरोध हुआ तो फैसला वापस ले लिया था। लेकिन भाजपा अपने गिरबां में झाँके क्योंकि उसके राज में जहरीली शराब पीकर हरिद्वार जिले में कई लोगों की मौत हो गई। रावत ने कहा कि मेरे राज में डेनिश ज़हर थी तो आज बिक रही डेनिश शराब सही कैसे हो गई?

हरदा ने जुम्मे की नमाज यानी शुक्रवार की छुट्टी के आदेश संबंधी शाह के आरोप को झूठा प्रचार बताया और कहा कि आज भाजपा की सरकार है लिहाजा सीबीआई से जांच कराकर वो आदेश तलाश लाए जिसके तहत गृहमंत्री आरोप लगा रहे।
रावत ने कहा कि भाजपा जितने चाहे मेरे स्टिंग दिखा ले और मैं भी जनता में भाजपा के स्टिंग दिखाऊंगा। आज तो स्टिंगबाज, स्टिंग प्रमोटर और प्रचारक सब भाजपा में ही हैं लिहाजा मैं चुनौती देता हूँ कि किसी भी सार्वजनिक मंच से मेरे और भाजपा के स्टिंग दिखा लें जनता फैसला कर लेगी।

बहरहाल अब हरदा ने शाह की खुली बहस की चुनौती स्वीकार कर ली है। ऐसे में सवाल है कि सत्तापक्ष और विपक्ष के दिग्गजों के बीच क्या वाकई किसी चौक-चौराहे पर खुली बहस हो पाएगी? जाहिर है इस सवाल का जवाब नहीं ही होगा लेकिन इतना तय है कि 22 बैटल मे वोट डालते वक्त जनता पक्ष-विपक्ष के बीच चल रही जुबानी जंग का नतीजा जरूर सुना देगी। तब तक नेताओं की यह नूराकुश्ती देखते रहना होगा।

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