देहरादून: पिछले दिनों एक दोपहर भोज की मेज़ पर जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से ‘द न्यूज अड्डा’ की तरफ से यह सवाल पूछा गया, ‘क्या देवस्थानम बोर्ड जैसे उलझे हुए मसले को सुलझाना उनके लिए इतना आसान होगा?’ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सहजता से जवाब दिया, ‘बाबा बदरी-केदार ने बोर्ड बनवाया, बाबा के आदेश पर बोर्ड भंग भी हो जाएगा।’
यानी युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में गठित देवस्थानम एक्ट और बोर्ड को लेकर मचे बवंडर के समाधान की पटकथा अपने ज़ेहन में तैयार कर रखी है। अब नवंबर गुज़रते-गुज़रते गंगा और यमुना में बहुत पानी बह चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। मोदी कैबिनेट संसद के रास्ते क़ानून वापसी की पटकथा लिख चुकी है।
जाहिर है जब 14 महीने से जारी किसान आंदोलन के आगे मोदी सरकार ने यूपी चुनाव को देखते हुए झुकना क़ुबूल कर लिया, तब देवस्थानम बोर्ड पर मचे पंडा-पुरोहितों, हक-हकूकधारियों के बवाल के आगे धामी सरकार का अड़ना भाजपा को कहां गंवारा होगा भला!
वैसे भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का देवस्थानम बोर्ड को लेकर रुख आंदोलित पंडा पुरोहितों को लेकर संवेदनशीलता भरा रहा है और मनोहरकांत ध्यानी की अगुआई में हाईपॉवर कमेटी का गठन भी इसी ओर इशारा करता है। अब जब तीर्थ पुरोहितों ने चारधामों से निकलकर राजधानी में मंत्रियों को घेरना शुरू कर दिया है और देवस्थानम बोर्ड एक्ट की दूसरी बरसी पर ‘काला दिवस’ मनाने और आक्रोश रैली का ऐलान कर दिया है तब सरकार के हाथ पाँव फूलने लगे हैं।
यही वजह है कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी साफ संकेत दे दिए हैं कि जल्द धामी सरकार भावनाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेने जा रही है। यानी अब तीर्थ पुरोहितों व संत समाज की नाराजगी को गंभीरता से लेकर सरकार अगले दो-तीन दिनों में बड़ा ऐलान कर सकती है।
धामी सरकार के सूत्रों ने खुलासा किया है कि टीएसआर राज के इस गड्डे को 27 नवंबर से पहले ही भरने की कोशिश की जाएगी। दरअसल 27 नवंबर 2019 को त्रिवेंद्र सरकार ने देवस्थानम बोर्ड एक्ट बनाया था जिसके तहत चारधाम सहित 51 मंदिरों को एक बोर्ड के तहत लाकर ऐतिहासिक कदम उठाने का दावा किया गया था। यह अलग बात है कि अब उसी भाजपा सरकार द्वारा बोर्ड को भंग किया जा सकता है।