देहरादून: भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने धामी सरकार के देवस्थानम बोर्ड भंग करने के ऐलान के पीछे भाजपा के चुनावी डर को वजह बताया है। वाम नेता इंद्रेश मैखुरी ने आरोप लगाया है कि देवस्थानम एक्ट उत्तराखंड के मंदिरों की संपदा को बड़े पूँजीपतियों के हवाले करने के लिए लाया गया कानून था और इस अधिनियम के प्रावधानों में यह निहित था।
भाकपा(माले) नेता द्वारा जारी प्रेस बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार द्वारा यह कानून भी उसी नजरिए से वापस लिया गया है, जिसके चलते केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानून वापस लिए गए हैं और वह नजरिया है- चुनावी हार का डर। इसका सीधा अर्थ यह है कि यदि सामने चुनाव न हों तो भाजपा जनता पर कुछ भी ऐसा थोप देगी जो जनहितों पर कुठाराघात करेगा और चुनाव में हार का खतरा नजर आएगा तो वह किसी भी ऐसे कानून को वापस लेने के लिए तैयार हो जाएगी, जिसके लाभ गिनाते वह नहीं थकती थी। लोकतंत्र की यह चुनाव समर्पित- चुनाव का,चुनाव के लिए- वाली नयी परिभाषा भाजपा गढ़ रही है।
मैखुरी ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों का समग्र चिंतन केवल चुनाव केन्द्रित होना, देश और लोकतंत्र के लिए बेहद घातक है। इस संकीर्ण दृष्टिकोण से देश और प्रदेश को उबारने की जरूरत है।
लेकिन इन दो फैसलों को अपनी मांगों के लिए संघर्ष करने वालों के लिए यही सबक है कि वह चाहिए रोजगार का प्रश्न हो या नियमितीकरण का, इन आंदोलनकारियों को सरकार में यह भय उत्पन्न करना होगा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गयी तो चुनावी कीमत सरकार को चुकानी पड़ेगी। तमाम वाजिब मांगों के लिए चलने वाले आंदोलनों को अपनी ताकत को इस दृष्टि से एकजुट करना चाहिए।